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Channel: धार्मिक स्थल
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गोवर्धन पर्वत और वल्लभाचार्य

मान्यता है कि पाँच हजार साल पहले गोवर्धन पर्वत 30 हजार मीटर ऊँचा था। पुलस्त्य ऋषि के श्राप के कारण यह पर्वत एक मुट्ठी रोज कम होता जा रहा है। इसी पर्वत को भगवान कृष्ण ने अपनी चीटी अँगुली पर उठा लिया था।...

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श्रीनाथद्वारा वैश्वण तीर्थ

श्रीवल्लभाचार्य के सम्प्रदाय का श्रीनाथ द्वारा मंदिर वैष्णव और वल्लभ सम्प्रदाय ही नहीं समूचे हिंदू समाज के लिए महत्व रखता है। राजस्थान के उदयपुर शहर से 30 मील की दूरी पर स्थित प्रसिद्ध एकलिंगजी स्थान...

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इंदौर का ऐतिहासिक महालक्ष्मी मंदिर

इंदौर शहर के हृदय स्थल राजवाड़ा की शान कहे जाने वाले श्री महालक्ष्मी मंदिर के संबंध में होलकर इतिहास के जानकार गणेश मतकर का कहना है कि मल्हारी मार्तंड मंदिर के साथ राजवाड़ा स्थित इस प्राचीन महालक्ष्मी...

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शंकराचार्य के चार मठ

हिंदू धर्म का संत समाज शंकराचार्य द्वारा नियुक्त चार मठों के अधिन है। हिंदू धर्म की एकजुटता और व्यवस्था के लिए चार मठों की परंपरा को जानना आवश्यक हैं। चार मठों से ही गुरु-शिष्य परम्परा का निर्वाह होता...

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प्राचीन नृसिंह मंदिर

नृसिंह मंदिर की वजह से पूरे क्षेत्र का नाम हुआ नृसिंह बाजार! इंदौर में स्थित यह मंदिर बेहद प्राचीन होने के बावजूद आज भी श्रद्धा के प्रमुख केंद्र के रूप में जाना जाता है। होलकर सेना के कुलदेवता मल्हारी...

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नर्मदा तट के तीर्थ

भारत की नदियों में नर्मदा का अपना महत्व है। न जाने कितनी भूमि को इसने हरा-भरा बनाया है। कितने ही तीर्थ आज भी प्राचीन इतिहास के गवाह है। नर्मदा के जल का राजा है मगरमच्छ जिसके बारे में कहा जाता है कि...

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कामाख्या मंदिर- कामरूप का कुंभ

तंत्र-मंत्र साधना के लिए विख्यात कामरूप कामाख्या (गुवाहाटी) में शक्ति की देवी कामाख्या के मंदिर में प्रतिवर्ष होने वाले 'अंबुवासी' मेले को कामरूप का कुंभ माना जा सकता है। इसमें भाग लेने के लिए देशभर के...

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फर्रुखनगर की ऐतिहासिक मस्जिद

बल्लभगढ़ के राजा नाहर सिंह के मुँह बोले भाई एवं फर्रुखनगर के नवाब अहमद अली खां (जिन्हें फर्रुख सीयत के नाम से भी लोग जानते हैं) की शहादत अब लोगों को भले ही याद न हो मगर उनके द्वारा बनाए गए महल, मस्जिद...

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पार्वती तुकेश्वर महादेव मंदिर

देवाधिदेव महादेव को सबसे ज्यादा प्रिय पार्वतीजी के मंदिरों की संख्या देशभर में नहीं के बराबर है, मगर इंदौर में केशरबाग रोड पर एक अत्यंत प्राचीन मंदिर है। इसका नाम केशरबाग शिव मंदिर उत्कीर्ण है, परंतु...

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श्रीफल गणेश

कण-कण में समाहित सर्वेश्वर अपने प्रिय भक्तों को विविध रूपों में दर्शन देकर अपनी उपस्थिति का संदेश देते हैं। ऐसी ही एक अनोखी घटना आज से लगभग 24 वर्ष पूर्व 18 सितंबर 1985 को जूनी इंदौर में शनि मंदिर के...

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राजेन्द्रग्राम के लंबोदर गणेश

अनूपपुर जिले के सघन वनों के मध्य बसा हुआ छोटा-सा सुन्दर नगर है अमरकंटक। यहाँ नर्मदा मंदिर से उत्तर दिशा की ओर लगभग 35 किमी दूर स्थित राजेन्द्रग्राम में स्थित गणेश मंदिर में स्थापित प्रतिमा लगातार लंबी...

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इलाहाबाद के लेटे हनुमान

विविध जनश्रुतियों एवं कपोल कल्पित तथा मनगढ़न्त कथाओं के आधार पर नित नई कहानियाँ खड़ी होती रहती हैं। इनमें से कुछ तो सत्य होती हैं। किन्तु कुछ का तो कोई आधार ही नहीं होता है। यही बात इलाहाबाद में...

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पुष्पगिरि जैन तीर्थ

इंदौर-भोपाल मार्ग पर सोनकच्छ से चार किलोमीटर दूर जैन धर्म के प्राचीन स्थल पर नवनिर्मित तीर्थ एक ऐसा मनोरम जैन तीर्थ स्थल है जो कोलाहल एवं प्रदूषण की दुनिया से बहुत दूर है। जहाँ पहुँचकर मन में बहुत...

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पूर्वमुखी माँ दुर्गा मंदिर

इंदौर के राजवाड़ा के पास स्थित माँ दुर्गाजी का मंदिर शहर के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। श्रद्घालु यहाँ खिंचे चले आते हैं। माँ भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं। यह मंदिर करीब 200 साल पुराना है।...

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उज्जैन की गढ़कालिका देवी

'मालवा की हृदय स्थली अवंतिका' नामक पुस्तक में उल्लेखित है कि मंदिर की महिमा अपरंपार है। हर्षवर्धन के काल में इस मंदिर का जीर्णोद्घार किया गया था। उज्जैन शाक्य मत का गढ़ रहा है। अतः कालिका का स्थान इस...

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कोल्हापुर की श्री महालक्ष्मी 'तिरुपति'

आदिशक्ति देवी के साढ़े तीन शक्तिपीठों में से एक पूर्ण पीठ है- करवीरवासिनी श्री महालक्ष्मी परब्रह्म ने साकार रूप में जो शक्ति प्रकट की वह शक्ति यानी श्री महालक्ष्मी। राजा दक्ष के यज्ञ में सती ने अपनी...

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त्रेतायुग से स्थापित है परशुराम पर्वत

उपनगरीय क्षेत्र राँझी से पाँच किमी दूरी पर ग्राम मटामर गाँव में परशुराम पर्वत अपने अंदर त्रेतायुग का इतिहास छुपाए खड़ा है। लगभग एक हजार फुट ऊँची पहा़ड़ी पर बनी गुफा का रहस्य आज तक कोई नहीं समझ पाया। ऐसा...

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कोटेश्वर महादेव मंदिर

प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर मध्यप्रदेश का प्रसिद्घ दर्शनीय धार्मिक स्थल 'कोटेश्वर महादेव मंदिर' महू-नीमच मार्ग पर कानवन फाटे से 12 किमी दूर पश्चिम में ग्राम कोद (धार) के निकट पहाड़ियों के मध्य अत्यंत...

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शनिदेव के चमत्कारिक सिद्धपीठ

वैसे जो भारत भर में शनि देव के कई पीठ है किंतु तीन ही प्राचीन और चमत्कारिक पीठ है, जिनका बहुत महत्व है। उक्त तीन पीठ पर जाकर ही पापों की क्षमा माँगी जा सकती है। जनश्रुति है कि उक्त स्थान पर जाकर ही लोग...

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कुंती का अधूरा मंदिर

क्या आपने ऐसा कोई प्राचीन अधूरा मंदिर देखा है जिसकी छत न हो और जिसमें किसी देवता की मूर्ति भी स्थापित न की गई हो। यदि नहीं तो आओ चलते हैं एक ऐसे ही मंदिर में। इस मंदिर के बारे में कई तरह की किंवदंतियाँ...

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